Thursday, January 16, 2014

गंगाजल संरक्षण समितियों का गठन एवं प्रदूषण नियंत्रण में स्थानीय पार्षदों एवं जनप्रतिनिधियों की भागीदारी आवश्यक

अभी तक गंगा जल प्रदूषण नियंत्रण हेतु प्रथम एवं द्वितीय चरण में करीब १५०० करोड़ रुपया खर्च किया जा चुका है तथा राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण के गठन के बाद करीब २६०० करोड़ रुपये की परियोजनाओं के सञ्चालन एवं विश्व बैंक के माध्यम से  ७००० करोड़ रुपये की परियोजनाओ का संस्तुतिकरण किया जा चुका है . प्रथम एवं द्वितीय चरण में गंगा जल प्रदूषण नियंत्रण की कमियों को दूर करने हेतु केंद्र में माननीय प्रधानमंत्री जी की अध्यक्षता में “राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण” तथा  उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल के माननीय मुख्यमंत्रियों की अध्यक्षता में  “राज्य गंगा नदी संरक्षण प्राधिकरण” का गठन किया गया. साथ ही साथ स्थानीय स्तर पर प्रदूषण नियंत्रण कार्यक्रमों को प्रभावशाली रूप से लागू करने एवं समन्वयन स्थापित करने हेतु सभी नगर निगमों के नगर प्रमुखों को भी “राज्य गंगा नदी संरक्षण प्राधिकरण” का सदस्य मनोनीत किया गया. परन्तु करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी गंगा की स्थिति में आशातीत सुधार न होना शायद हमारी दृढ इच्छाशक्ति के अभाव तथा पार्षदों एवं जनप्रतिनिधियों के उचित प्रतिनिधित्व न होने के कारण ही है. अतः गंगाजल प्रदूषण नियंत्रण कार्यक्रमों को सफल बनाने  हेतु आवश्यक है कि:-

  • १.    नगर निगमों के सभी वार्डों में “गंगाजल संरक्षण समितियाँ" गठित की जाएँ जिसमे  वार्ड के पार्षद समिति के संयोजक तथा १० महिलाओं एवं १० पुरुषों का चयन सदस्य के रूप में किया जाये.
  • २.     गंगाजल प्रदूषण नियंत्रण के  सभी  कार्यक्रमों में आम जनता का धन खर्च किया जा रहा है अतः अपने-अपने क्षेत्रों में पार्षदों का अधिकार एवं कर्त्तव्य है कि वे सभी योजनाओं, उसपर किये जा रहे खर्च एवं कार्य की गुणवत्ता के बारे में जानकारी एवं उसपर नियंत्रण रखें.
  • ३.     गंगाजल संरक्षण समितियों के सदस्य गंगाजल प्रदूषण नियंत्रण कार्यक्रमों की समीक्षा करें एवं कार्य की गुणवत्ता में कमी पाए जाने पर उचित कार्यवाही हेतु नगर प्रमुख को अपनी आख्या प्रेषित करें जिसे आवश्यकतानुसार मुख्यमंत्री/प्रधानमंत्री को प्रेषित किया जाये.
  • ४.     गंगाजल संरक्षण समितियों द्वारा आम लोगों में जागरूकता पैदा करने हेतु समय-समय पर गोष्ठियों तथा नुक्कड़ नाटकों का आयोजन किया जाये.
  • ५.     विभिन्न मंत्रालयों द्वारा संचालित सभी गंगाजल प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण के कार्यक्रमों में गंगाजल संरक्षण समितियों द्वारा स्थानीय स्तर पर समन्वयन भी स्थापित किया जाये.

आवश्यक कार्यवाही हेतु आज दिनांक १६ जनवरी २०१४ को मैंने हरिद्वार, कानपुर ,इलाहाबाद, वाराणसी, पटना एवं कोलकाता के सभी नगर प्रमुखों को पत्र लिख कर अनुरोध किया है. सूचनार्थ इसकी प्रतियों को हमने माननीय प्रधानमंत्री भारत सरकार तथा उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल के सभी मुख्यमंत्रियों को भी प्रेषित किया है. आशा है इस दिशा में आशातीत सफलता मिलेगी.