विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आज दिनांक 5 जून 2021 को ‘पारिस्थितिक तंत्र का संरक्षण’ विषयक पर वेबिनार का आयोजन हुआ। इस वेबिनार का आयोजन महामना मालवीय गंगा शोध केन्द्र, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के द्वारा किया गया। आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में महामना मालवीय गंगा शोध केन्द्र के चेयरमैन एवं प्रख्यात पयार्वरण वैज्ञानिक प्रो. बी. डी. त्रिपाठी ने अपना विचार व्यक्त करते हुये कहा कि विश्व में पर्यावरण दिवस 1972 से मनाया जाता है तब से लगातार हम अपनी टीम के साथ यह दिवस मनाते आ रहे हैं। उन्होंने ने कहा कि हम सभी को अपने रहन-सहन में बदलाव करना होगा एक संकल्प लेना होगा तभी पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा की जा सकती है।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुये प्रख्यात समाज वैज्ञानिक एवं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के पूर्वविभागाध्यक्ष प्रो. ए.के. जोशी ने कहा कि धरती पर मानवजीवन को प्रदूषण से उत्पन्न खतरों के प्रति सचेत करने हेतु प्रतिवर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन विभिन्न संस्थाओं द्वारा किया जाता है। हमें प्रकृति दोहन के प्रत्येक पहलू को समझना होगा उसे बचाने के लिये सतत प्रयास करते रहना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 महामारी काल में स्वयं को सुरक्षित रखने हेतु प्रकृति के साथ सामन्जस्य बनाना होगा। अतिथि वक्ता के रूप में प्रोफेसर विरेन्द्र मिश्रा ने कहा कि यह दिवस रोज मनाया जाना चाहिये तभी पारिस्थितिक तंत्र की बहाली हो सकती है। डाॅ आशुतोष मिश्र ने भी विश्व पर्यावरण दिवस के थीम पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर गंगा शोध केन्द्र द्वारा प्रशिक्षित गंगा मित्रों मुख्य रूप से वैभव पाण्डेय, धर्मेन्द्र पटेल, रोहित सिंह, घनश्याम पटेल, धर्मेन्द्र पाल, मीता दास, आदि ने भी अपने विचार रखते हुये इस बात पर जोर दिया कि पर्यावरण के संरक्षण से ही जीवन को सुरक्षित किया जा सकता है। प्रकृति के बचाव हेतु लोगों के अन्दर प्रकृति के प्रति भावात्मक लगाव बढ़ाना होगा।
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